यादव बाबा मंदिर के लिए श्रमदान
अन्ना के इस निस्वार्थ कार्य ने कई ग्रामीणों को प्रेरित किया। गरीब होने के कारण वह ज्यादा योगदान नहीं दे सके लेकिन उन्होंने मंदिर के निर्माण में मुफ्त श्रमदान करने का फैसला किया। गाँव के कई युवाओं ने आगे आकर मंदिर के जीर्णोद्धार में रुचि ली और गाँव को बदलने के अन्ना के विचार से सहमत हुए।